गुरु और शिष्य का संबंध एक गहरे विश्वास और निष्ठा पर आधारित होता है।
गुरु शिष्य को अज्ञान से ज्ञान की ओर, अंधकार से प्रकाश की ओर, और मृत्यु से अमरता की ओर ले जाता है।
शिष्य का कर्तव्य है कि वह अपने जीवन में गुरु की शिक्षाओं को आत्मसात करे और उन्हें अपने आचरण में उतारे।
सत्संग तभी सफल होता है जब गुरु और शिष्य दोनों अपने-अपने कर्तव्यों का ईमानदारी से पालन करें।