निष्काम सेवा और गुरु की कृपा: आध्यात्मिक जागरण का पथ

निष्काम सेवा का अर्थ:

ऐसा कार्य जिसमें किसी भी प्रकार की स्वार्थ सिद्धि या फल की कामना न हो।

केवल दूसरों के कल्याण और धर्म के प्रति समर्पण भाव से किया गया कार्य।

  1. गुरु की कृपा का महत्व:

गुरु की कृपा वह शक्ति है जो शिष्य के जीवन में आध्यात्मिक जागरण लाती है।

यह कृपा केवल तब प्राप्त होती है जब शिष्य और गुरु दोनों निष्काम भाव से अपने कर्तव्यों का पालन करते हैं।

  1. उदाहरण:

श्रीकृष्ण ने अर्जुन को गीता का उपदेश देते समय निष्काम कर्म की महिमा समझाई।

गुरु नानक देव जी ने भी निष्काम सेवा और सत्य के मार्ग पर चलने की शिक्षा दी।

निष्कर्ष:

जो गुरु निःस्वार्थ भाव से शिष्य का मार्गदर्शन करता है, वह अपने कर्तव्य की उच्चतम अवस्था पर होता है। ऐसे गुरु को न केवल शिष्यों का सम्मान मिलता है, बल्कि वह ईश्वर और ब्रह्मांडीय ऊर्जा की कृपा का भी पात्र बनता है।

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