समाधि में एकाग्रता कैसे प्राप्त करें?

  1. आत्मसमर्पण (ईश्वर प्राणिधान)

अपने अहंकार और इच्छाओं को छोड़कर पूरी तरह ईश्वर में समर्पित हो जाएं।

यह “मैं” को समाप्त कर “तू” को स्वीकार करने की प्रक्रिया है।

  1. वैराग्य का अभ्यास

सांसारिक वस्तुओं और इच्छाओं से मन को अलग करें।

यह मन को मुक्त और शांत बनाता है।

  1. सहजता और निरंतरता

समाधि का अनुभव एक बार में नहीं होता। यह निरंतर अभ्यास (अभ्यास) और वैराग्य के साथ संभव है।

धैर्य और दृढ़ संकल्प के साथ ध्यान जारी रखें।

  1. साक्षी भाव अपनाएं

अपने शरीर, मन और विचारों को एक “साक्षी” की तरह देखें।

इससे साधक “द्रष्टा” (वास्तविक आत्मा) के रूप में अपनी पहचान कर पाता है।

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