आध्यात्मिक शिखर का अनुभव

जब साधक समाधि में पूरी तरह एकाग्र हो जाता है,

तो वह:

  1. आत्मा और परमात्मा की एकता को अनुभव करता है।
  2. संसार के बंधनों और मोह से मुक्त हो जाता है।
  3. शाश्वत आनंद (आनंदमय अवस्था) और शांति का अनुभव करता है।

यह शिखर तक पहुँचने की प्रक्रिया साधना, भक्ति, और आत्म-अनुशासन के माध्यम से संभव है।

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