एको ब्रह्म: अद्वैत वेदांत की अनंत यात्रा

मेरे विचार के अनुसार परमात्मा एक है वह अद्वैत वेदांत के सिद्धांतों से जुड़े हैं, जिसमें “एक ब्रह्म” की अवधारणा को प्रमुखता दी गई है। इसका अर्थ है कि परमात्मा (ब्रह्म) ही एकमात्र वास्तविकता है, और उसके अलावा जो कुछ भी है, वह भौतिक जगत या माया का ही अंश है।

एको ब्रह्म दूजो नाही का भावार्थ है कि इस संपूर्ण सृष्टि का मूल कारण और आधार केवल एक ही है—परमात्मा।

अद्वैत वेदांत के प्रमुख बिंदु:

  1. ब्रह्म ही सत्य है: केवल ब्रह्म (परमात्मा) को ही शाश्वत और सत्य माना गया है।
  2. माया का अस्तित्व: भौतिक जगत, जिसमें सूक्ष्म और स्थूल शरीर, आत्माएं और देवता आते हैं, माया का हिस्सा हैं। यह सब ब्रह्म की शक्ति से उत्पन्न हुआ है।
  3. अद्वैत: “द्वैत” का अर्थ है दो, जबकि “अद्वैत” का अर्थ है “द्वैत का अभाव”। अद्वैत वेदांत के अनुसार, जीव और ब्रह्म अलग नहीं हैं; वे एक ही हैं।
  4. आत्मा और परमात्मा एक हैं: आत्मा और परमात्मा में कोई भेद नहीं है। “अहम् ब्रह्मास्मि” (मैं ब्रह्म हूं) इस बात का संकेत देता है कि आत्मा ब्रह्म का ही अंश है।

व्यावहारिक दृष्टिकोण:

भौतिक दुनिया में जो भी विविधता और भिन्नता दिखाई देती है, वह ब्रह्म के अलग-अलग रूपों की अभिव्यक्ति है। देवता, आत्माएं और शरीर भले ही भौतिक रूप में अलग प्रतीत होते हों, लेकिन वे सभी एक ही मूल सत्य से जुड़े हैं।

इस विचार का उद्देश्य मनुष्य को यह समझाना है कि हर जीव में परमात्मा का वास है, और आत्मा को माया के बंधनों से मुक्त कर परमात्मा में लीन होना ही अंतिम सत्य है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *