गुरु के प्रति सम्पूर्ण समर्पण और आत्मिक पथ पर अग्रसरता

मैं आध्यात्मिकता में अपने आप को किसी की प्रतिस्पर्धा में शामिल नही मानता न ही कभी किसी की बराबरी करता हु मैं अपने लक्ष्य को लेकर अर्जुन की तरह निगाहे अपने हर ओर उनके बताए मार्ग पर साधना कर पहुचने का लक्ष्य को साध कर अपना जीवन आध्यात्मिकता में गुजरता हु मेरा किसी से बराबरी करने या किसी शिष्य की आलोचना करने का धेय्य नही है मेरा रास्ता ओर मेरी मंजिल मेरे गुरु है और उन्ही के प्रति ये जी ण सम्परपित है और तन मन और धन उन्ही का है और उन्ही के चरणों मे अर्पण है जानता हूं जब कुछ लेकर ही नही आया तो कुछ तो साथ लेकर जाना है जो जाना है वह गुरु के प्रति श्रद्धा और स्वम् का गुरु में विस्वास नमन

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