भारतीय आध्यात्मिक परंपरा और योग शास्त्र के अनुसार, मनुष्य के तीन शरीर होते हैं:
- स्थूल शरीर (Physical Body) – यह हमारा भौतिक शरीर है, जिसे हम देख सकते हैं और जो पांच तत्वों (पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु और आकाश) से बना होता है।
- सूक्ष्म शरीर (Subtle Body) – यह मन, बुद्धि, अहंकार और चित्त से बना होता है। इसमें चक्र, नाड़ियाँ (इड़ा, पिंगला, सुषुम्ना) और प्राण ऊर्जा का प्रवाह होता है।
- कारण शरीर (Causal Body) – यह आत्मा का निवास स्थान होता है और इसे सबसे गूढ़ स्तर माना जाता है।
सूक्ष्म शरीर का अस्तित्व कैसे माना गया?
योग और ध्यान के अनुभव – योग साधक और ऋषि-मुनियों ने ध्यान और साधना के माध्यम से सूक्ष्म शरीर का प्रत्यक्ष अनुभव किया है।
प्राण और ऊर्जा का प्रवाह – जब हम ध्यान, प्राणायाम या कुंडलिनी जागरण करते हैं, तो शरीर में ऊर्जा का संचार अनुभव कर सकते हैं। यह भौतिक शरीर से अलग है, और इसे ही सूक्ष्म शरीर कहा जाता है।
स्वप्न अवस्था और मृत्यु अनुभव – जब हम सोते हैं, तब भी हम विचार और भावनाएँ अनुभव करते हैं, जबकि स्थूल शरीर शिथिल होता है। यही सूक्ष्म शरीर की क्रियाशीलता का प्रमाण है। मृत्यु के समय स्थूल शरीर नष्ट हो जाता है, लेकिन आत्मा और सूक्ष्म शरीर यात्रा जारी रखते हैं (पुनर्जन्म सिद्धांत के अनुसार)।
चक्रों का सूक्ष्म शरीर में होना
चक्र स्थूल शरीर में नहीं, बल्कि सूक्ष्म शरीर में होते हैं।
ये चक्र ऊर्जा केंद्र हैं, जो हमारे शरीर में प्राण शक्ति (life force energy) को नियंत्रित करते हैं।
इन्हें केवल गहन ध्यान, साधना और कुंडलिनी जागरण के माध्यम से अनुभव किया जा सकता है।
वैज्ञानिक दृष्टिकोण
आधुनिक विज्ञान सूक्ष्म शरीर या चक्रों को प्रत्यक्ष रूप से नहीं माप सकता, लेकिन किरलियन फोटोग्राफी, बायोइलेक्ट्रिक फील्ड और न्यूरोसाइंस से यह प्रमाणित हुआ है कि शरीर के चारों ओर एक ऊर्जा क्षेत्र होता है, जिसे कई लोग “ऑरा” कहते हैं।
निष्कर्ष
सूक्ष्म शरीर स्थूल शरीर से अलग एक ऊर्जामय अस्तित्व है, जिसमें आत्मा निवास करती है और चक्रों के माध्यम से ऊर्जा का प्रवाह होता है। यह अनुभव और साधना का विषय है, जिसे योग, ध्यान और आध्यात्मिक अनुशीलन से समझा जा सकता है।