- सूक्ष्म कारण शरीर में सुषुम्ना का कार्य
सूक्ष्म कारण शरीर में सुषुम्ना नाड़ी का कार्य अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह मेरुदंड के मध्य स्थित होती है और इड़ा तथा पिंगला नाड़ियों के बीच से होकर गुजरती है। इसका मुख्य कार्य कुंडलिनी शक्ति को जागृत कर सहस्रार चक्र तक पहुंचाना होता है। जब यह नाड़ी सक्रिय होती है, तब साधक उच्च आध्यात्मिक अनुभव प्राप्त करता है और समाधि अवस्था को प्राप्त करता है।
- मूर्धा और कुर्मा नाड़ी का कार्य और सहस्रार चक्र से संबंध
- मूर्धा नाड़ी – यह ब्रह्मरंध्र (सिर के शीर्ष बिंदु) से जुड़ी होती है और आत्मा के उच्चतर लोकों में जाने का मार्ग प्रशस्त करती है। मृत्यु के समय, यदि व्यक्ति की प्राण ऊर्जा मूर्धा नाड़ी से निकलती है, तो उसे मोक्ष प्राप्त होने की संभावना होती है।
- कुर्मा नाड़ी – यह नाड़ी प्राण स्थिरता और दीर्घायु से संबंधित होती है। यह मन और श्वास पर नियंत्रण बनाए रखती है, जिससे व्यक्ति ध्यान और समाधि में स्थिर रह सकता है। मृत्यु के समय, यह नाड़ी प्राण को नियंत्रित कर सकती है और सहस्रार चक्र तक प्राण को पहुंचाने में सहायता करती है।
- मृत्यु पर नारियल से सहस्रार चक्र को क्यों खोलते हैं?
मृत्यु के समय सहस्रार चक्र का खुलना आत्मा के उच्चतर लोकों में जाने के लिए अत्यंत आवश्यक माना जाता है। भारतीय परंपरा में, जब किसी व्यक्ति की मृत्यु होती है, तो उसके ब्रह्मरंध्र (सिर के शीर्ष भाग) को खोलने के लिए नारियल फोड़ा जाता है। इसके पीछे कई कारण होते हैं:
- प्रतीकात्मक कारण – नारियल का ऊपरी कठोर खोल अहंकार (माया) को दर्शाता है। इसे फोड़ने का अर्थ है कि आत्मा अब देह के बंधनों से मुक्त होकर ब्रह्म में विलीन हो रही है।
- ऊर्जा निर्वहन – सहस्रार चक्र से प्राण को मुक्त करने के लिए कंपन (vibration) की आवश्यकता होती है। नारियल फोड़ने से उत्पन्न ध्वनि और ऊर्जा इस प्रक्रिया को सुगम बनाती है।
- मृत आत्मा को सही मार्ग पर ले जाना – ब्रह्मरंध्र से निकलने वाली आत्मा का लक्ष्य उच्च लोकों की ओर जाना होता है। नारियल फोड़ने की प्रक्रिया इसे सुनिश्चित करने का एक माध्यम मानी जाती है।
- तांत्रिक और आध्यात्मिक कारण – कुछ परंपराओं में, नारियल को “शरीर” का प्रतीक माना जाता है। इसे तोड़ने का अर्थ होता है कि आत्मा अब भौतिक शरीर से मुक्त होकर परम सत्ता में विलीन हो रही है।
निष्कर्ष
सूक्ष्म कारण शरीर में सुषुम्ना नाड़ी कुंडलिनी को सहस्रार तक ले जाने में सहायक होती है। मूर्धा नाड़ी और कुर्मा नाड़ी क्रमशः ब्रह्मरंध्र के माध्यम से आत्मा को मोक्ष की ओर ले जाने और प्राण को स्थिर बनाए रखने में भूमिका निभाती हैं। मृत्यु के समय नारियल फोड़ना सहस्रार चक्र को खोलने की एक आध्यात्मिक प्रक्रिया है, जिससे आत्मा के उच्च लोकों में जाने की संभावना बढ़ती है।