अनाहद, जिसका अर्थ है “अविनाशी ध्वनि” या “असीमित” संगीत, एक गहरे आध्यात्मिक और ध्वनिमूलक अर्थ से जुड़ा होता है। इसके बारे में एक कविता की कुछ लाइनों का उदाहरण:
अनाहद की ध्वनि
गूंजे सदा, बिन रुके, अनंत गहराई में,
कहीं न कोई स्वर, न कोई दीवार,
फिर भी बहे, अनाहद राग की धार।
अर्थहीन से शब्दों में, खो जाती है मन की चुप,
यह अनाहद बयां करता, आत्मा की गहरी धड़कन।
चाहे सूरज ढले या चांद लुके,
यह संगीत चलता रहे, न रुके, न थमे।
यह राग, न कोई वाद्य बजाए, न गायक हो,
बस एक खामोशी में बसा, जीवन का पूरा सार।
यह अनाहद एक यात्रा है,
जो स्वरहीन, फिर भी अनंत,
संगीत की अनुभूति में, निरंतर जागृत।