- गंगा के जल की विशेषताएँ:
गंगा जल में बैक्टीरियोफेज नामक विषाणु पाए जाते हैं, जो हानिकारक बैक्टीरिया को नष्ट करते हैं।
पानी में प्राकृतिक रूप से ऑक्सीजन की मात्रा अधिक होती है, जो जीवाणुओं के पनपने को रोकती है।
- प्रतिरक्षा शक्ति:
मेलों में आने वाले लोग सामान्यतः मानसिक रूप से सकारात्मक और आध्यात्मिक ऊर्जा से भरपूर होते हैं, जो उनकी प्रतिरक्षा को मजबूत बना सकता है।
भारतीय भोजन और जीवनशैली में प्राकृतिक प्रतिरक्षा बढ़ाने वाले तत्व होते हैं, जैसे हल्दी, अदरक, और तुलसी।
- प्राकृतिक शुद्धिकरण:
स्नान स्थानों पर पानी का लगातार बहाव होता है, जिससे दूषित जल ठहरता नहीं है और संक्रमण का खतरा कम हो जाता है।
गंगा के किनारों पर मौजूद मिट्टी और वनस्पतियों में जल शुद्धिकरण के गुण होते हैं।
- संगठित प्रबंधन और व्यवस्था:
कुंभ मेले में सफाई और स्वास्थ्य सेवाओं की अच्छी व्यवस्था होती है, जिससे संक्रमण के खतरे को नियंत्रित किया जाता है।
सरकार और स्वास्थ्य विभाग द्वारा समय-समय पर जल की गुणवत्ता की जांच और स्वच्छता के उपाय किए जाते हैं।
- सामाजिक और सांस्कृतिक व्यवहार:
लोगों का अनुशासन, सामाजिक दूरी का पालन और पारंपरिक नियम (जैसे उपवास, विशिष्ट खाद्य पदार्थों का सेवन) भी संक्रमण के जोखिम को कम कर सकते हैं।
इन कारणों के संयोजन से ही करोड़ों लोगों के स्नान के बाद भी संक्रामक रोग बड़े पैमाने पर नहीं फैलते।