ईश्वर को विभिन्न धर्मों और दर्शनशास्त्रों में अलग-अलग तरीकों से परिभाषित किया गया है, लेकिन सामान्य रूप से, ईश्वर को सृष्टि का सर्वोच्च, सर्वव्यापी, सर्वशक्तिमान और सर्वज्ञ सत्ता माना जाता है। वह अनंत, अजन्मा, अविनाशी और सभी प्राणियों का आधार है।
आत्मा ईश्वर तक कैसे पहुँचे:
- ज्ञान योग: आत्म-ज्ञान और ब्रह्मज्ञान के माध्यम से। उपनिषदों में कहा गया है कि “अहं ब्रह्मास्मि” (मैं ब्रह्म हूँ) – यह समझकर आत्मा अपनी मूल पहचान को पहचानती है और ईश्वर से एकत्व का अनुभव करती है।
- भक्ति योग: प्रेम और समर्पण द्वारा। भगवद गीता में कहा गया है कि भक्त अपने हृदय में भगवान का स्मरण करके उनके समीप पहुँच सकते हैं।
- कर्म योग: निष्काम कर्म (फल की अपेक्षा के बिना कर्तव्य करना) के द्वारा, जिससे मन की शुद्धि होती है और आत्मा ईश्वर के निकट पहुँचती है।
- राज योग (ध्यान और साधना): ध्यान, साधना, और समाधि की अवस्था में मन को एकाग्र करके आत्मा ईश्वर से मिलन का अनुभव करती है।