हिंदू धर्म में कहा गया है कि जो लोग अच्छे कर्म, भक्ति और ध्यान में लीन रहते हैं, वे मृत्यु के बाद ईश्वर के धाम (जैसे वैकुण्ठ या ब्रह्मलोक) में जाते हैं।
गीता के अनुसार: जो व्यक्ति मृत्यु के समय ईश्वर का स्मरण करता है, वह ईश्वर को प्राप्त करता है – “अन्तकाले च मामेव स्मरन्मुक्त्वा कलेवरम्।”
सत्संग, सेवा, और साधना: इनसे चित्त शुद्ध होता है, और आत्मा उस लोक की ओर अग्रसर होती है।
उस लोक में क्या करें:
मोक्ष प्राप्ति: आत्मा जन्म-मृत्यु के चक्र से मुक्त होकर शाश्वत आनंद का अनुभव करती है।
भगवत सेवा: भक्तिकाल के अनुसार, आत्मा ईश्वर की सेवा और उनका आनंद प्राप्त करती है।
अद्वैत दर्शन: आत्मा और परमात्मा का एकत्व अनुभव होता है, और द्वैत समाप्त हो जाता है।
क्या आप किसी विशेष ग्रंथ (जैसे भगवद गीता, उपनिषद, वेदांत) के संदर्भ में और जानकारी चाहते हैं?