इसका आध्यात्मिक अर्थ:
यह धड़कन आत्मा और परमात्मा के मिलन का प्रतीक है।
यह याद दिलाती है कि आत्मा (जीवात्मा) और परमात्मा (परमात्मा) अलग नहीं हैं, बल्कि एक ही चेतना के दो रूप हैं।
हृदय की धड़कन को “नाद” (ध्वनि) के रूप में सुनने का अभ्यास करने से आत्मा की आवाज और ब्रह्मांडीय ध्वनि “ओम” का अनुभव किया जा सकता है।