हिंदू शास्त्रों के अनुसार, चंद्रमा में 16 कलाएँ (कला = शक्ति या गुण) मानी जाती हैं, जो उसकी बदलती अवस्थाओं (अमावस्या से पूर्णिमा तक) का प्रतीक हैं। ये कलाएँ न केवल खगोलीय महत्व रखती हैं, बल्कि इनका गहरा आध्यात्मिक अर्थ भी है।
चंद्रमा की 16 कलाएँ:
- अमृत – अमरत्व और जीवनदायिनी शक्ति।
- मनदा – मन को स्थिर और शांति देने वाली।
- पूषा – पोषण और समृद्धि देने वाली।
- तुष्टि – संतोष और आनंद प्रदान करने वाली।
- पुष्टि – शक्ति और बल देने वाली।
- रति – प्रेम, आकर्षण और आनंद की कला।
- धृति – धैर्य और सहनशीलता।
- शशिनी – शीतलता और सौम्यता।
- चंद्रिका – प्रकाश और सुंदरता का प्रतीक।
- कांती – आभा और तेज प्रदान करने वाली।
- ज्योत्सना – ज्ञान और विवेक की रोशनी।
- श्री – ऐश्वर्य और संपन्नता की देवी।
- प्रीति – प्रेम और स्नेह का संचार।
- अंगदा – शक्ति और सुरक्षा प्रदान करने वाली।
- पूर्णा – पूर्णता और संतुलन का प्रतीक।
- पुण्यदा – पुण्य और धर्म की प्राप्ति।