इस्लाम में आत्मा, जन्म और कर्म की धारणा

इस्लाम में पुनर्जन्म की मान्यता नहीं है। इस्लामी मान्यताओं के अनुसार:

  1. आत्मा (रूह): इस्लाम के अनुसार, आत्मा (रूह) को अल्लाह ने बनाया है और वह जन्म से पहले ही अल्लाह के पास होती है।
  2. जन्म से पहले चयन: आत्मा स्वयं अपना जन्म स्थान, परिवार या कर्म नहीं चुनती। जन्म, मृत्यु और जीवन की सभी परिस्थितियाँ अल्लाह की योजना के अनुसार होती हैं।
  3. कर्म और क़ियामत (अंतिम न्याय दिवस):

इंसान को इस दुनिया में अच्छे या बुरे कर्म करने का अवसर दिया जाता है।

मृत्यु के बाद आत्मा बरज़ख (एक मध्यवर्ती स्थिति) में रहती है, फिर क़ियामत के दिन हर इंसान को उसके कर्मों के आधार पर जन्नत (स्वर्ग) या जहन्नम (नरक) में भेजा जाएगा।

  1. तक़दीर (नियति): इस्लाम में तक़दीर का सिद्धांत कहता है कि अल्लाह ने पहले से ही सब कुछ तय कर रखा है, लेकिन इंसान को सही और गलत का चुनाव करने की स्वतंत्रता भी दी गई है।

ईसाई धर्म में आत्मा, जन्म और कर्म की धारणा

ईसाई धर्म में भी पुनर्जन्म की मान्यता नहीं है।

  1. आत्मा और जन्म:

ईसाई मान्यताओं के अनुसार, आत्मा को ईश्वर बनाता है और प्रत्येक आत्मा का एक ही जीवन होता है।

आत्मा अपने जन्म से पहले परिवार या जीवन की परिस्थितियाँ नहीं चुनती।

  1. कर्म और मोक्ष:

ईसाई धर्म में कर्म महत्वपूर्ण हैं, लेकिन मोक्ष (उद्धार) केवल यीशु मसीह में विश्वास और ईश्वर की कृपा से मिलता है।

मृत्यु के बाद, आत्मा परमेश्वर के न्याय के सामने प्रस्तुत होती है और उसके अनुसार स्वर्ग या नर्क में जाती है।

  1. पुनरुत्थान और अंतिम न्याय:

ईसाई धर्म में मान्यता है कि अंत समय में मृतकों का पुनरुत्थान होगा और परमेश्वर अंतिम न्याय करेगा।

मुख्य अंतर

निष्कर्ष

हिंदू धर्म में आत्मा के पुनर्जन्म और कर्मों से जीवन तय होने की मान्यता है।

इस्लाम और ईसाई धर्म में पुनर्जन्म की धारणा नहीं है, बल्कि मृत्यु के बाद आत्मा को अंतिम न्याय का सामना करना पड़ता है।

इस्लाम और ईसाई धर्म में आत्मा अपने जन्म से पहले कुछ भी नहीं चुनती, बल्कि सब कुछ ईश्वर की योजना के अनुसार होता है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *