कुर्मा मूर्धा नाड़ी: ध्यान, शांति और आत्मजागृति की सूक्ष्म राह

कुर्मा मूर्धा नाड़ी” योग और आयुर्वेद से जुड़ा एक महत्वपूर्ण विषय है। इसे “कूर्म नाड़ी” या “कूर्म मुद्रा” भी कहा जाता है। यह एक सूक्ष्म ऊर्जा नाड़ी मानी जाती है, जो मस्तिष्क और ध्यान से संबंधित होती है।

कुर्मा मूर्धा नाड़ी का महत्व

  1. मस्तिष्क और ध्यान – यह नाड़ी सिर (मूर्धा) में स्थित होती है और ध्यान तथा समाधि में सहायक होती है।
  2. प्राण नियंत्रण – योग में इसे प्राण (जीवन ऊर्जा) को स्थिर करने और मन को शांत करने के लिए उपयोग किया जाता है।
  3. अमृत प्रवाह – कुछ योग ग्रंथों के अनुसार, कुर्म नाड़ी का संबंध सहस्रार चक्र और अमृत प्रवाह से होता है।

योग और साधना में उपयोग

शांभवी मुद्रा और ब्रह्मरंध्र ध्यान में इसका विशेष रूप से उल्लेख मिलता है।

गहरी साधना और प्राणायाम के अभ्यास से कुर्मा मूर्धा नाड़ी सक्रिय हो सकती है।

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