“गरीब ऐसा सद्धृ (सज्जन पुरुष) हमें मिला जिसने बजर (कठिन/मजबूत) किवाड़ खोल दिए, और हमारे सारे अगम (गंभीर/कठिन समझने योग्य) दोष हर लिए, और हमें ब्रज के दरबार में पहुँचा दिया।”
यहां कुछ शब्दों का भावार्थ:
सद्घृ / सद्धृ: सज्जन, संत, गुरु
बजर किवाड़: मजबूत दरवाजे (यहाँ मन के बंद द्वार या मुक्ति के मार्ग का प्रतीक)
अगम दोष: ऐसे दोष जिन्हें समझना या दूर करना कठिन हो
ब्रज दरबार: भगवान कृष्ण का ब्रज (वृंदावन) में स्थित दिव्य दरबार
इसका भाव यह है कि एक महान संत या गुरु के मार्गदर्शन से जीवन के कठिन दोष मिट सकते हैं और आत्मा ईश्वर के दरबार (मोक्ष, भक्ति) तक पहुँच सकती है।