जब रिश्ते आत्मा से जुड़ते हैं: वीना बहिन का आत्मीय आगमन

जब पहली बार अनंत की मम्मी पिताजी से मिलनेआई तो।पिताजी की शक्ल।को देख कर उनकी आंखों से आसुओ की धारा बहने लगी व अपने आप।पर कस्साब नही रख सकी श्रीमती विना कोटिया के पिताजी का देहांत भी एक वर्ष पूर्व हुवा था उनका गम वो भुला नही पा रही थी जब पिताजी ने उनसे न आंसुओ के बारे में पूछा तो उनके मुह से ये शब्द बहुत ही मीठी वाणी में निकले आपको देख मुझे मेरे पिताजी की याद आ गई उनकी शक्ल आपसे मिलती है ये कहते ही पिताजी ने उन्हें बेटी के रूप में स्वीकार कर दत्तक बेटी मैसन लिया अनंत को बाद में शिष्य बनाया है श्रीमती प्रभा कोटिया का विवाह सेठी कॉलोनी वाले मकान से हुवा है और कन्या दान भी लितजी ने किया है यू रिस्ते में भी वो बेटी हो गई और पिताजी उस दिन के बाद से बेटी कह कर पुकारने लगे और विना बहिन से जो प्यार परिवार को मिला वह अमूल्य आधयात्मिक निधि में बदल गया और अनंत पिताजी का एक योग्य शिष्य बन गया इस परिवार से जो हमे बहिन के रूप में खुशियां मिली उसका वर्णन नही किया जा सकता और वीना बहिन भी अग्रवाल है श्री प्रभात कुमार कोटिया जी रिस्ते में पिताजी के दामाद हुवे हमारा पूरा परिवार विना बहिन के प्रेम के सामने नत मस्तक है ओर उस दिन से पिताजी की कृपा विना बहिन को मिलती रही और आज वो अध्यात्म की परिकस्था पर है उनके चेहरे से भक्ति की सुंदर झलक व असीम पटें की झलक ओर अपना पन मिलता है जिसे देख कर मैं गदगद हो गया मेरी तरफ से पूरे परिवार की नमन और परम् आदरणीय श्री प्रभात कुमार कोटिया को उनकी मर्त्यु पर श्रधांजलि अर्पित गुप्ता परिवार करता है
स्वर्गीय डाक्टर चंद्र गुप्ता स्वर्गीय दर्शना गुप्ता स्वर्गीय कृष्ण कुमार गुप्ता सरोज गुप्ता पवन गुप्ता कमलेश गुप्ता अनीश गुप्ता पौत्र अथर्वा गुप्ता राजेन्द्र गुप्ता अनिता गुप्ता सतीश गुप्ता सुनीता गुप्ता शशि गुप्ता और बहिन सुषमा मित्तल व संबंध भूषण मित्तल

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