असली लाईफ पार्टनर तो नफ़्स (मन) है, बीबी तो बेचारी बस बदनाम है……..
इतनी बातें उसकी थोड़ी मानता है इंसान जितनी अपने नफ़्स (मन) की मानता है, इंसान तो असल में अपने नफ़्स (मन) का गुलाम है वोह जो भी उससे कहता है और वोह वही करता है।
उसकी मर्ज़ी से जीता है उसकी मर्ज़ी का खाता है सबकुछ उसकी मर्ज़ी का करता है।
और जिसने इस नफ़्स (मन) की नही मानी, उसकी ग़ुलामी छोड़ दी और उसकी तहारत उसकी पाक़ी पर ध्यान दिया वही कामयाब हुया है !!! वही मर्दे मुजाहिद है उस ही ने ईश्वर से नज़दीकी बना ली जिसने अपने नफ़्स की अकड़ को तोढ़ लिया….