तु ही तू 

जिसने इस जहां को भुला के अपने को उस मुकाम में ढाल लिया

जहाँ न धूप न छाव न कुछ  बस अगर कुछ है  तो  तु ही तू 

उसे इस जहां से क्या लेना देना जब उस दुनिया में अपना डेरा बसा लिया

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