सदगुरुदेव कहते है के ज्यादा तर लोग गुरु से जुड़ते है और अपने जीवन की परेशानियों का समाधान होने के बाद उन्हे भूल जाते है या गुरु के ज्ञान को जीवन की समस्या के समाधान तक ही समझते है परंतु ऐसा नहीं है ।
गुरु का मूल लक्ष्य तो शिष्य को जीवन मुक्त कर उसका परमात्मा से साक्षात्कार है और शिष्य ऐसा कर सके इसके लिए वह शिष्य के रास्ते में से सारी परेशानियों को खत्म करते हुए शिष्य का रास्ता आसान करते है । यह उनको करना पड़ता है शिष्य के सारे पाप परेशानियां अपने ऊपर लेके कटवाते है सिर्फ और सिर्फ शिष्य को उसके लक्ष्य तक ले जाने के लिए ।
गुरुदेव कहते है के गुरु अगर यह नहीं करता है तो भूखा या परेशान व्यक्ति ईश्वर का ध्यान नहीं कर सकता इसलिए उसकी परेशानियां पहले खत्म होनी चाहिए ।
यहां हम सांसारिक घरेलू शिष्य यह भूल कर बैठते है के गुरु जब हमारी परेशानियां खत्म कर देते है तब हम उनकी राह छोड़ फिर से मृत्यु की राह पर निकल पड़ते है । परेशानियों से मुक्त हो गुरु की राह पर चल के ही ईश्वर रूपी गुरु का ध्यान कर अपने मन में बसा सकते है और ऐसा ही हम कर पाए के गुरुदेव हमे खुद से जंजीर से बांध के रख ले ऐसी ही उनसे प्रार्थना करते है ।
सादर नमन ।।