ब्रह्मांड के सभी जीव सदगुरु के शिष्य को देख के बोले
वाह रे शिष्य तूने क्या किस्मत पाई है
जिसे हम सभी पूज रहे वह तो तुम्हारे पीछे पीछे चल रहे है
तुम्हारे भाग्य से हमे ईर्ष्या है
जो सदगुरु हमारी तरफ देखते भी नही
वह तुम्हारी याद में परेशान हो रहे
आखिर क्या खासियत है तुझमें जो मुझमें नहीं
सदगुरु तुम्हे ही चाहते है हमे नही
शिष्य बोला
मैं तो सदगुरु का बंदा हूं और सिर्फ उन्ही का हूं
मैं आगे नहीं चल रहा ध्यान से देखो सदगुरु के प्रेम की गंगा में खुद को छोड़ दिया अब बस बह रहा हूं
जहां ले जाना चाहे सदगुरु
वहीं चल रहा हूं ।