गुरु का प्रेम

गुरु के प्रेम को सिर्फ वोही एहसास कर सकता है जो गुरु प्रेम में डूबा हुआ है । चाहे लाखों किताबे पढ़ लें यह समझा नही जा सकता । यह उसी तरह है जिस तरह से जिसने चीनी कभी न खाई हो वह लाख किताब पढ़ ले नही समझ सकता के चीनी का स्वाद मीठा कैसा होता है, वही जान सकता है जिसने चीनी खाई हो ।

अगर गुरु प्रेम को जानना है तो उस प्रेम में डूबना ही पड़ेगा ।

कहा जाता है के 

यह आग का दरिया है और डूब के जाना है 

मेरी सोच है के गुरु की तरफ का रास्ता

यह प्रेम का दरिया है और डूब के जाना है ।

हम गुरु के प्रेम में डूब सके ऐसी ही प्रार्थना करता हूं ।

सादर नमन ।।

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