वैदिक दृष्टि के अनुसार मृत्यु के पश्चात भी न मरने वाला सूक्ष्म शरीर पांच ज्ञानेन्द्रियों, पांच कर्मेंद्रियों, पांच प्राण, एक मन और एक बुद्धि के योग से बना है। यही वह सूक्ष्म शरीर है जो कि प्रारब्ध और संचित कर्मों के कारण मृत्यु पश्चात बार बार जन्म लेता है।