किसी भी योग्य गुरु जो आपकी राय में गुरु कहलाने लायक ओर गुरु बनने के गुण या योग्यता रखता है निष्काम निर्पेक्ष स्वार्थ रहित वीतरागी योग्य वेद का ज्ञान या आध्यात्मिक ज्ञान और साधना में निपुण हो उन्ही से किसी नही व्यक्ति जो शिक्षा योग या आध्यात्मिकता में रुचि रखता हो और आध्यात्मिकता में निपुन होना चाहता है और गुरु की आज्ञा को आज्ञा मानकर सत्यता पर निर्भर रहना चाहता है और अपने अंदर के काम क्रोध लोभ मोह अहंकार मद घमण्ड इर्ष्या द्वेष ओर अन्य अवगुणों को दूर कर आध्यात्मिक रास्ते पर चल कर भक्ति प्रेम ज्ञान ध्यान और समाधि की शिक्षा किसी भी योग्य गुरु से प्राप्त करना चाहता हो उसे उसका अनुयायी बनने के लिए दिक्सित होना जरूरी है बिना दिक्सित हुवे गुरु अपना पूरा ज्ञान और ध्यान उस व्यक्ति की ओर नही देता है हमारी आत्मा शरीर से मुक्त होने के लिए हर समय प्रत्यन शील रहती है और नेक कर्म करना चाहती है इसलिए हम किसी भी योग्य पुरुष की शरण मे जा कर अपने कर्मो को सुधार कर आध्यात्मिक निसपक्ष जीवसं व्यतीत करना चाहते है और कर्मो को भुगत निस्वार्थ भाव से ईश्वर की शरण कबूल करने अपना नैतिक दायित्य समझते है ऐसी स्तिथि में किसी भी गुरु की शरण की हमे जरूरत होती है इसलिए हमारे धर्म मे किसी भी धर्मात्मा पुरुष जो गुरु के गुण रखता हो और हमारा उद्धार कर सके उसे गुरु बनाना हमारा धेय्य होता है