गुरु की सेवा

मिटा के अपनी हस्ती तुझे 

खुद को भी  इस जग को भूलना होगा

लग गुरु की सेवा में 

उसी की  खिदमत में

जीना ओर मरना होगा अगर ये संभव है  तो  

पहुच जा गुरु शरण मे तो तेरा बेड़ा पार है

तू है मुक्त सब कर्मो  से अब तेरा

 मुक्ति  पर अधिकार है क्योकि जो गुरु की सेवा में रहता है उसका करता गुरु उद्धार है

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