तेरे सिवा कोई है ही नही

तेरे सिवा कोई है ही नही, जिससे तेरी बात कर सकूँ।

 शायद यही बात रही होगी तभी भक्तों ने तुम्हारे प्रेम को गीत और संगीत में बांधकर खुद के संग आनन्द मनाया होगा।

क्योंकि भक्ति से उत्तम मार्ग दिखता ही कोई नही है कि जीवनमुक्त यात्रा के लिए।

धन्यवाद सदगुरु।

आपने हमे इतना सरल और सहज मार्ग दिया है कि हम भी अब गाते है, नाचते है, रोते हैं, खुश होते हैं गोविंद के प्रेम में।

क्या कहुँ। जीवन सिर्फ बदला नहीं है, बल्कि रूपांतरण होकर विकसित होता जा रहा है।

आपने यह दिखाया है, बोध कराया है कि अध्यात्म का मार्ग एक बार चल जाने का नही, चलते जाने का मार्ग हैं।

यह मार्ग है उन सभी पाठों को लेने का जो पीछे नही लिया और वो भी fast track level पर।

अध्यात्म मार्ग है स्वयं को जानने का और उसको जानने का तथा उसके अनन्त विस्तार हो जाने का।

अब यह जानने वाला ही जान सकेगा कि इस विस्तार की शुरुआत कहाँ से  है, यानि के केंद्र को और उसके फैलाव को, जिसका ही नाम गोविंद है।

क्या कहें मेरे प्यारे सदगुरु।

आपकी करुणावशात और कृपा स्वरूप ही यह सब बोध जागता है किसी जीव में।

उसके पहले सब बातें रहती है…जो उसकी कही, किसी से सुनी है।

अपनी कुछ भी नहीं होती, जब तक हम आपके नाव में ना सवार हो जाये।

 

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