May 12, 2025 आत्मा का मार्ग: जब मृत्यु भी साधना बन जाए आत्मा और भौतिक शरीर का संबंध भारतीय दर्शन, विशेषकर वेदांत, सांख्य और भगवद गीता जैसे ग्रंथों में विस्तार से समझाया गया है। इस संबंध... Read More
May 12, 2025 हनुमान जी की पूंछ में लगी आग: शक्ति, भक्ति और विवेक का प्रतीक हनुमान जी द्वारा अपनी पूंछ से लंका जलाने की घटना रामायण में एक महत्वपूर्ण और प्रतीकात्मक प्रसंग है, जिसका आध्यात्मिक रहस्य गहरा है। इसे... Read More
May 12, 2025 आत्मा से जुड़ने की साधना: चक्र, कुण्डलिनी और समाधि की यात्रा जब शरीर में कोई चक्र नहीं, तो 7 चक्रों का विवरण क्यों?सात चक्र (मूलाधार, स्वाधिष्ठान, मणिपुर, अनाहत, विशुद्ध, आज्ञा, सहस्रार) भौतिक शरीर में कोई... Read More
May 11, 2025 शरीर मे जो चक्र बताये गया है उन स्थानों का नाम।उस शरीर के साथ पर आध्यात्मिक।ऊर्जा के केंद्र ये नाम योग शास्त्र में इन स्थानों के बताए गए है जो वास्तव चक्र न होकर आध्यात्मिक।ऊर्जा के स्थान है चक्र वास्तव में शरीर में “ऊर्जा केंद्र” ही हैं, लेकिन ये केवल स्थूल शरीर में नहीं, सूक्ष्म शरीर में स्थित होते हैं। जब आप ध्यान, साधना या समाधि में गहराई से उतरते हैं, तो ये चक्र ऊर्जावान हो उठते हैं और उनकी प्रकृति बदलने लगती है।हम जानते है कि शरीर मे यमप्रमुख ऊर्जा केंद्र (चक्र है जो हमारी अंदर उतपन्न समाधि की ऊर्जा से संबंध रखते है हमे इस बात पर गहराई से सोचना होता है कि येचक्र स्थान ऊर्जा की प्रकृति हैंऔर इनका समाधि में क्या होता हैवह।जानते है जब हम ध्यान में बैठते है तो हमारा मूलाधार तानी गुदा के पास ऊर्जा के स्पंदन का आभास होता है येमूलाधार रीढ़ की हड्डी के मूल में स्थिरता, जीवन शक्ति का पहला स्थान है जो सर्व परथम जागरण साधना से होता जागरण की शुरुआतस्वाधिष्ठान नाभि के नीचे इच्छा, कामना, रचनात्मक ऊर्जा इच्छाओं का शुद्धिकरणमणिपुर नाभि के पास आत्मबल, अग्नि, इच्छा शक्ति आंतरिक तेज जाग्रत होता हैअनाहत हृदय स्थान प्रेम, करुणा, शुद्ध चेतना अनाहद नाद (शब्द रहित ध्वनि) की अनुभूतिविशुद्धि कंठ क्षेत्र वाणी, अभिव्यक्ति, आत्मसत्य आकाश तत्व की अनुभूतिआज्ञा भ्रूमध्य ध्यान, ज्ञान, बुद्धि त्रिकालदर्शी चेतनासहस्रार सिर के ऊपर ब्रह्मज्ञान, समाधि आत्मा-परमात्मा का मिलन अब हमें जानना है कि आध्यात्मिकसमाधि में क्या होता है?हम।जानते है जब हमारे शरीर के अंदर के चक्र गुरु कृपा से ऊर्जित हो जाग्रत व चक्र ऊर्जामय हो जाते हैं और हमारे शरीर मे स्थूल से सूक्ष्म स्तर पर कार्य करते हैं।इसके बाद मूल चक्र जोहृदय चक्र (अनाहत) होता है ये गुरु के द्वारा दी गैंउर्जा से या स्वममकी पूजा पैठ धार्मिक अनुस्थ्सन से किसी भी तरह से एक्टिव होने पर “अनाहद नाद” की ध्वनि सुनाई देती है – यह बाह्य नहीं, बल्कि अंतः श्रवणध्वनि होती है।सहस्रार खुलने पर, चक्रों की क्रियाएं शांत हो जाती हैं और आत्मा शुद्ध ब्रह्म अवस्था में लीन हो जाती है। Read More
May 9, 2025 “जब दो आत्माएँ इस जन्म में मिलती हैं, तो वह केवल एक संयोग नहीं होता। यह मिलन तभी संभव होता है जब उनकी रूहों के बीच पूर्व जन्म से कोई गहरा संबंध हो — कोई पहचान, कोई घनिष्ठता, कोई अधूरा अध्याय। आत्माएँ प्रेम से एक-दूसरे की ओर आकर्षित होती हैं, और यह आकर्षण केवल शारीरिक या मानसिक नहीं, बल्कि आध्यात्मिक होता है। गुरु और शिष्य का संबंध भी ऐसा ही होता है। बिना पूर्व जन्मों के संस्कारों और आध्यात्मिक तैयारी के, किसी को सच्चे गुरु की... Read More
May 6, 2025 ।आज फिर न जाने क्यों मन मेआया की आईने से कुछ पुछु क्योकि आईना कभी झूठ नही बोलता ओर सत्संग में चलने वालों का कभी ईमान नही डोलता है ईमान उनके संग ओर सत पर टिका रहता है जो समर्पित होते है मेरे द्वारे पर न मिले भोजन तो कभी चुरा के नही खाता भूख दुनिया छोड़ सकता है लर उसका ईमान कभी नही डगमगाता जानते हो ऐसे व्यक्ति गुरु के परम भक्त होते है नही करते बईमानी चोरी झूटी शिकायत ओर धोखेबाजी क्योकि उनका दिल पहले से ही गुरु शरण मे होता है चाहे कितना ही कुछ करलो अपने ईमान पर टिका होता है जो होते है समर्पित अपने ईमान के प्रति ईश्वर भी उनपर नजर रखता है ले लेता है कदम कदम पर परीक्षा फिर उसे अपनी गोद मे बैठकर मुक्त कर उसे अपने दरबार मे जगह संत की देता है बात आईने की सुन मैं घबरा गया और पसीने पसीने हो सोचने लगा कि ये क्या कह रहा है अगर मुझमे होते ये गुण तोक्यो मुझे आईना बताता की कैसे बनते है संत ये राज क्यो बताता मैं पतित दोषो से भरा जिसके दिल मे कपट भरा आज तक भी सच क्या होता है ये जान न पाया व्यर्थ ही दिखावा कर लोगो को बेवकूफ बनाया आज समझ गया अगर उसे पाना है तो घर बार मोह त्याग कर उसके प्रति समर्पित होना होगा जीवन के बचे क्षण गुरु देव को समर्पित करना होगा जो किये कर्म उनका प्रायश्चित करना होगा फिर जब गुनाह कम हो उनका फल मिलने लगेगा सोचले पवन तब तुझे ज्ञान का मसर्ग मिलके लगेगा होगी उसके प्रेम की वर्षा उस जल में सारे पाप धुल जायेगे ओर आध्यात्मिक ज्ञान भक्ति ध्यान और समाधि के सभी गुण तुझमे आ जायेगा रोम।रोम हरि नाम से गूंज उठेगा तू सीख जाएगाक्या होता है समर्पण पर इस जन्म में तो नही पर अगले जन्म में मोक्ष हो गुरु चरणों मे पहुच जाएगा Read More