April 18, 2025 शिष्य यदि अज्ञानी हो — तो भी वह सच्चे हृदय से सद्गुरु की तलाश कर सकता है। ज्ञान की शुरुआत ही जिज्ञासा और विनम्रता... Read More
April 18, 2025 जब कोई महात्मा या सद्गुरु अपनी दिव्य शक्ति के द्वारा शिष्य के शरीर, मन और आत्मा के हर कण में अपनी ऊर्जा का संचार करता है, तो शिष्य एक अनहद (असीम और अवर्णनीय) अनुभव में प्रवेश करता है। यह अनुभव सामान्य इंद्रियों की सीमा से परे होता है। यदि शिष्य इस अवस्था को पहचान कर पूर्ण समर्पण भाव से अपने गुरु के चरणों में अर्पित हो जाए, तो वह पूर्णता (आत्मिक सिद्धि या मोक्ष) की ओर अग्रसर हो जाता है। इस मार्ग में आगे बढ़ने के लिए शिष्य में सत्यनिष्ठा (सत्य के प्रति दृढ़ता), समर्पण, समभाव (सबके प्रति समान दृष्टि) और सम्यकता (सही दृष्टिकोण... Read More
April 18, 2025 “समर्पण भाव लिए सब भाग रहे गुरु की ओर,जो भेद समर्पण को जान गया पत्नी से, वो सच्चा गुरु सेवक भाई।” भावार्थ: “समर्पण भाव... Read More
April 17, 2025 जब संत ने खोले आत्मा के बंद द्वार “गरीब ऐसा सद्धृ (सज्जन पुरुष) हमें मिला जिसने बजर (कठिन/मजबूत) किवाड़ खोल दिए, और हमारे सारे अगम (गंभीर/कठिन समझने योग्य) दोष हर लिए, और... Read More
April 17, 2025 प्रेम का पासा: कबीर के समर्पण की कहानी “कबीर पासा पकड़या प्रेम का, सारी किया शरीर” यहाँ “पासा” शब्द का प्रयोग जुए के लिए किया गया है, पर यह सांसारिक जुए की... Read More
April 17, 2025 “गरीब असत कमलदल—बाह्य भी शून्य, अंतर्मन भी शून्य।” यहाँ “गरीब असत कमलदल” का अर्थ है वह कमल-पत्र जो न तो असली (सत्) है और... Read More