मौलाना रूम कहते हैं आं बादशाहे-आलम दर बस्ता बूद महकम…….पोशीद दलक-आदम यअमी कि बर दर आमद!!! अनुवाद – “शहंशाहों के शहंशाह ने शरीर के...
बेटे बेटी के लिए मा पिता का घर शिष्य के लिए गुरु का दर ये दोनों ऐसी जगह है जहाँ अवगुणों को दूर कर ...
हा मैं पिता हु तो जीता हु ओर जीने के लिए मैं पिता हु पर क्या पिता हु ये बताना जरूरी है जी मैं ...
इंसान की चाहत तो मन को सकून मिलने की होती है ये सकून चाहे गुरु से मिले या मंदिर या गुरुद्वारे में या मस्जिद...
आध्यात्मिकता में जब शिष्य गुरु के अधीन *रह कर विकार मुक्त हो प्रेम ज्ञान भक्ति को समझ ध्यान और* समाधि की ** अवस्था को...
कब गुरु द्वारा दी गई ऊर्जा से उतपन्न प्रकाश या शब्द का आभाष ही साधक को न रहे यदि साधक ध्यान करते करते ऐसी...
हृदय कलम तै जोति बिराजै । अनहदनाद निरंतर बाजै ब्रह्म को अपने घट के भीतर ही जानना, उसका प्रत्यक्ष साक्षात्कार करना- ब्रह्मज्ञान
नाद अर्थात ‘नकार’ यानी प्राण (वायु) वाचक तथा ‘दकार’ अग्नि वाचक है , अतः जो वायु और अग्नि के संबंध (योग) से उत्पन्न होता...
हम जानते है कि आध्यात्मिकताकी शिक्षा में गुरु वह पुल है या सेतु है जो शिष्य को अपने ज्ञान से ईश्वर से जोड़ता है और...
गुरु के द्वारा शिष्य बनाने पर गुरु अपनी ऊर्जा शक्ति दीक्षा के माध्यम से शिष्य के शरीर मे स्तिथ हृदय पर अपनी नजर या...