महात्मा राधा मोहन लाल जी, महान गुरु चाचा जी महाराज के द्वितीय पुत्र थे। उनका जन्म अक्टूबर 1900 में हुआ था। उन्हें अपने पिता...
तत्वातोतदेह: भारतीय दर्शन में मूलभूत सिद्धांतों की देह में अभिव्यक्तिI. तत्वातोतदेह: एक समग्र दार्शनिक दृष्टिकोण“तत्वातोतदेह” संस्कृत का एक गहन यौगिक शब्द है, जो ऐसी...
लक्ष्मण रेखा और गांधारी का सुरक्षा चक्र, दोनों ही भारतीय पौराणिक कथाओं में महत्वपूर्ण प्रतीक हैं, जो आधुनिक संदर्भ में भी नैतिक, सामाजिक और...
सहस्त्रार चक्र शुद्ध चेतना, ज्ञान और ब्रह्मांडीय ऊर्जा से जुड़ा है। आकाश तत्व भी अनंतता, शून्यता और सर्वव्यापकता का प्रतीक है। जब कुंडलिनी ऊर्जा...
निर्बीज समाधि योग की अंतिम और सर्वोच्च अवस्था है। ‘निर्बीज’ का अर्थ है ‘बिना बीज के’, यानी ऐसी अवस्था जहाँ पुनर्जन्म के कोई बीज...
समाधि में ध्यान की अवस्था में विचार शून्य हो जाते हैं, क्योंकि मन पूर्णतः एकाग्र और शांत हो जाता है। इस अवस्था में चेतना...
गुरु का शिष्य में लय होना या शिष्य का गुरु में लय होना: आध्यात्मिक परिप्रेक्ष्यआध्यात्मिक मार्ग पर गुरु और शिष्य के बीच ‘लय’ (एकरूपता)...
साधना (अभ्यास)लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए योगी विभिन्न प्रकार की साधना करते हैं। साधना सिर्फ कठिन अभ्यास नहीं, बल्कि एक जीवनशैली है जिसमें...
संत जैसे गुणों को पाने और संत बनने तक का सफर बहुत लंबा है जरूर नजी की आप इसी नीवं में उस स्तर तक...
गुरु द्वारा शिष्य को ध्यान करवाने और शिष्य बनाने की आध्यात्मिक अनुमति देना एक गहन और पवित्र प्रक्रिया है, जो भारतीय आध्यात्मिक परंपराओं में...