Vaachan

निस्वार्थ कर्म: आनंद और शांति का मार्ग

इस संसार में अधिकतर कार्य स्वार्थ से प्रेरित होते हैं, क्योंकि व्यक्ति अपनी आवश्यकताओं, इच्छाओं और सुख-सुविधाओं को पहले रखता है। लेकिन इसका अर्थ...

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गुरु ही वह दीपक है जो परमात्मा तक पहुँचने का मार्ग दिखाता है

गुरु और परमात्मा में अंतर गुरु और परमात्मा दोनों ही आध्यात्मिक मार्गदर्शन और आत्मज्ञान से जुड़े हैं, लेकिन उनके स्वरूप और भूमिकाओं में महत्वपूर्ण...

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हर मनुष्य में छिपा है प्रजापति का सृजनशील रूप

मानव भी संवत्सर प्रजापति” का तात्पर्य वेदों और हिन्दू दर्शन से जुड़ा हुआ है। इसमें निम्नलिखित मुख्य अवधारणाएँ निहित हो सकती हैं: संवत्सर का...

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गुरु की दीक्षा से आत्मबोध तक: शिष्य को पारंगत बनाने की भारतीय परंपरा

गुरु शिष्य को पारंगत (दक्ष) बनाने के लिए कई मार्ग अपनाता है, जो शिष्य की क्षमता, जिज्ञासा और साधना पर निर्भर करते हैं। भारतीय...

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कुर्मा मूर्धा नाड़ी: प्राचीन ग्रंथों में वर्णित ध्यान और अमृत अनुभूति की रहस्यमयी धारा

कुर्मा मूर्धा नाड़ी” का उल्लेख कई प्राचीन योग और तांत्रिक ग्रंथों में मिलता है। कुछ महत्वपूर्ण ग्रंथ जो इस नाड़ी से जुड़े हैं: इस...

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कुर्मा मूर्धा नाड़ी: ध्यान, शांति और आत्मजागृति की सूक्ष्म राह

कुर्मा मूर्धा नाड़ी” योग और आयुर्वेद से जुड़ा एक महत्वपूर्ण विषय है। इसे “कूर्म नाड़ी” या “कूर्म मुद्रा” भी कहा जाता है। यह एक...

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