तक मन में श्रद्धा, विश्वास और गुरु के प्रति प्रेम नहीं होगा, तब तक आत्मिक उन्नति और कल्याण संभव नहीं है। मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारा,...
ईश्वर हमें हमारे दोष कई तरीकों से जाहिर करता है, लेकिन इसे समझने के लिए आत्मचिंतन और जागरूकता जरूरी होती है। कुछ मुख्य तरीके...
पिताजी जब जिंदा थे उनका व्यक्तित्व को देखते तो ऐसा लगता था कि उनको भौतिक दुनिया से कोई लेना देना नही है सिर्फ अपने...
जब कोई व्यक्ति निष्काम कर्म करता है, तो वह संसार में रहकर भी उसमें लिप्त नहीं होता। वह अपने कर्तव्यों को निभाता है लेकिन...
जब शिष्य गहरे आध्यात्मिक अनुभवों से गुजरता है, तो उसकी दृष्टि बदल जाती है। प्रारंभ में, उसे संसार मिथ्या लगने लगता है, मोह टूटता...
अध्यात्मिक फ़क़ीर संत महात्मा की विशेषताएँ और उनकी आध्यात्मिक स्थिति निम्नलिखित होती हैं:
संतों की साधना उनके आत्म-साक्षात्कार और ईश्वर-प्राप्ति के मार्ग में अत्यंत महत्वपूर्ण होती है। उनकी साधना गहन तपस्या, भक्ति, ज्ञान, और वैराग्य से युक्त...
निर्विचार ध्यान: मन को शून्य करने का अभ्यास। साक्षी भाव का अभ्यास: विचारों और भावनाओं को बिना जुड़ाव के देखना। आत्मविचार (Self-Inquiry): “मैं कौन...
अहंकार शून्यता वह अवस्था है जिसमें व्यक्ति “मैं” और “मेरा” की भावना से पूरी तरह मुक्त हो जाता है। यह अद्वैत वेदांत और योग...