अद्वैत (Non-Dualism): मुख्य विचार: अद्वैत वेदान्त का तात्पर्य है “अद्वैत” अर्थात् एकत्व। इसमें आत्मा (जीव) और परमात्मा (ब्रह्म) के बीच कोई वास्तविक भेद नहीं...
आध्यात्मिक फकीरी एक ऐसी अवस्था या जीवनशैली है जिसमें व्यक्ति संसारिक इच्छाओं, भौतिक सुख-सुविधाओं और मोह-माया से मुक्त होकर, आत्मज्ञान और ईश्वर के साक्षात्कार...
शरीर प्रकृति के नियमों के अधीन होता है। उसे भोजन, जल, नींद और स्वास्थ्य की आवश्यकता होती है। शरीर कर्मों के माध्यम से कार्य...
एक उच्च कोटि के आध्यात्मिक संत के जीवन में सम्पूर्ण वैराग्य और पूर्ण रूप से समाधि की अवस्था तब आती है जब वे आत्म-साक्षात्कार...
किसी भी मनुष्य को आध्यात्मिक कृपा किसी संत की 12 या 13 वर्ष की आयु में संत का आशीर्वाद व घर का माहौल या...
प्राचीन गुरु परम्परा भारतीय अध्यात्म में एक महत्वपूर्ण स्थान रखती है। यह परम्परा गुरु-शिष्य संबंध पर आधारित है, जहाँ ज्ञान और आध्यात्मिक अनुभूति का...
स्वार्थ रहित होना और निष्काम कर्म करना व्यक्ति के आंतरिक विकास और समाज के कल्याण के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। जब हम बिना किसी...
निष्काम कर्म का मतलब है बिना किसी फल की इच्छा के अपने कर्तव्यों को निभाना। इसे अपने जीवन में अपनाने के लिए कुछ महत्वपूर्ण...
स्वार्थ रहित होना और निष्काम कर्म करना व्यक्ति के आंतरिक विकास और समाज के कल्याण के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। जब हम बिना किसी...
बहुत से योग सोचते है कि मैं क्या लिख रहा हु ओर क्यो क्योकि जो मजा जीने में वही आनंद मरने के बाद भी...