Vaachan

विरक्ति का अर्थ

विरक्ति का अर्थ है संसार और उसकी वस्तुओं से मन का हट जाना, मोह-माया से ऊपर उठकर ईश्वर या आत्म-साक्षात्कार की ओर उन्मुख होना।...

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कुम्भ स्नान का महत्व

भारतीय दर्शन और योग शास्त्रों में शरीर को ब्रह्मांड का प्रतीक माना गया है, जिसमें गंगा, यमुना और सरस्वती नाड़ियों के रूप में मौजूद...

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अद्वैत और द्वैत

अद्वैत (Non-Dualism): मुख्य विचार: अद्वैत वेदान्त का तात्पर्य है “अद्वैत” अर्थात् एकत्व। इसमें आत्मा (जीव) और परमात्मा (ब्रह्म) के बीच कोई वास्तविक भेद नहीं...

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आध्यात्मिक फकीरी

आध्यात्मिक फकीरी एक ऐसी अवस्था या जीवनशैली है जिसमें व्यक्ति संसारिक इच्छाओं, भौतिक सुख-सुविधाओं और मोह-माया से मुक्त होकर, आत्मज्ञान और ईश्वर के साक्षात्कार...

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शरीर का धर्म

शरीर प्रकृति के नियमों के अधीन होता है। उसे भोजन, जल, नींद और स्वास्थ्य की आवश्यकता होती है। शरीर कर्मों के माध्यम से कार्य...

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एक उच्च कोटि के आध्यात्मिक संत के जीवन में सम्पूर्ण वैराग्य और पूर्ण रूप से समाधि की अवस्था तब आती है जब वे आत्म-साक्षात्कार...

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किसी भी मनुष्य को आध्यात्मिक कृपा किसी संत की 12 या 13 वर्ष की आयु में संत का आशीर्वाद व घर का माहौल या...

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प्राचीन गुरु परम्परा भारतीय अध्यात्म में एक महत्वपूर्ण स्थान रखती है। यह परम्परा गुरु-शिष्य संबंध पर आधारित है, जहाँ ज्ञान और आध्यात्मिक अनुभूति का...

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स्वार्थ रहित होना और निष्काम कर्म करना व्यक्ति के आंतरिक विकास और समाज के कल्याण के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। जब हम बिना किसी...

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निष्काम कर्म का मतलब है बिना किसी फल की इच्छा के अपने कर्तव्यों को निभाना। इसे अपने जीवन में अपनाने के लिए कुछ महत्वपूर्ण...

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