स्थूल शरीर (भौतिक शरीर) वह शरीर है जो हमें प्रत्यक्ष रूप से दिखाई देता है और जिसके माध्यम से हम इस भौतिक संसार का...
भगवद गीता: “वेदाविनाशिनं नित्यं य एनमजमव्ययम्” – आत्मा अविनाशी, नित्य, अजन्मा, और अपरिवर्तनीय है। उपनिषद: “अहं ब्रह्मास्मि” – आत्मा ही ब्रह्म (परमात्मा) है। बृहदारण्यक...
मुक्ति (मोक्ष): आत्मा का साक्षात्कार ही मोक्ष का मार्ग है, जो पुनर्जन्म के चक्र से मुक्ति दिलाता है। अहंकार का विनाश: आत्मा के ज्ञान...
शरीर, मन, और बुद्धि आत्मा के साधन मात्र हैं। आत्मा इनसे परे है और इन्हें नियंत्रित करती है, लेकिन स्वयं इनसे प्रभावित नहीं होती।...
आत्मा का महत्व हिंदू दर्शन, वेदांत, और कई अन्य आध्यात्मिक परंपराओं में अत्यंत गहन और केंद्रीय भूमिका निभाता है। आत्मा को ‘अमृत’ (अमर), ‘नित्य’...
आत्मा का विकास: इन कलाओं के माध्यम से साधक अपने आंतरिक गुणों को विकसित कर आत्म-साक्षात्कार की ओर बढ़ता है। मन और चित्त की...
हिंदू शास्त्रों के अनुसार, चंद्रमा में 16 कलाएँ (कला = शक्ति या गुण) मानी जाती हैं, जो उसकी बदलती अवस्थाओं (अमावस्या से पूर्णिमा तक)...
आत्म-साक्षात्कार: ये कलाएँ आत्मा के विभिन्न आयामों को जागृत करती हैं, जिससे साधक आत्म-साक्षात्कार की ओर बढ़ता है। संपूर्णता का प्रतीक: ये 16 कलाएँ...