Vaachan

गुरु का मूल लक्ष्य

 सदगुरुदेव कहते है के ज्यादा तर लोग गुरु से जुड़ते है और अपने जीवन की परेशानियों का समाधान होने के बाद उन्हे भूल जाते...

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दूसरा जन्म

दूसरे साधकोंमें तो कमी भी रह सकती है और अन्तसमयमें अन्यचिन्तन, मूर्च्छा आदि किसी कारणसे साधनसे विचलित होकर वे योगभ्रष्ट भी हो सकते हैं,...

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तरीक़त

तरीक़त का अर्क़ है  मुर्शिद से ताल्लुक़ मुर्शिद से मोहब्बत और उसपर मुक़म्मल यक़ीन।  अर्क़ – ज्योति, प्रकाश मुर्शिद- सतगुरु ताल्लुक- सम्बन्ध मोहब्बत- प्रेम...

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धर्म

किसी भी धर्म मे मैं का प्रयोग कहि न कहि अहम को बताता है इसलिए व्यक्ति कॉम क्रोध लोभ मोह अहंकार इर्ष्या द्वेष राग...

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इंसान का कल्ब़

इंसान का कल्ब़ एक लाख अस्सी हज़ार जालों से जकड़ा होता है, जिसको कोई कामिल जा़त यानि सतगुरु ही अपनी नज़रे कीमियां से जला...

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आज फिर जब मैं

आज फिर जब मैं मन के शीशे के सामने पहुचा तो हैरान रह गया शीशा बोला आ गए फिर से  आ जाओ मेरा द्वार...

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उलझन 

पिताजी का फरमाना था कक मन की कोई भी उलझन  यदि हमें परेशान करती है तो उसे यदि गुरु के समक्ष  नही कह पा...

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चिंतन

मैंने पढ़ा था लेकिन जाना नहीं था अपने चिंतन अपनी उलझनों को एक बार पूरे मन से व्यक्त कर दिया जाए लिख दिया जाए...

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