देव के शिक्षण ओर अभ्यास

जब भी गुरु देव के शिक्षण ओर अभ्यास से शिष्य समाधि की चरम अवस्था मे पहुच जाता  है, तो ये समाधि की अंतिम अवस्था अस्मितानुगम समाधि,होती है  इस अवस्था मे ऊर्जा का प्रवाह बहुत अधिक शरीर मे होता है और  ध्यान भी  बहुत गहरी अवस्था  होता है। इस अवस्था मे साधक को  कुछ पता नहीं रहता है  शून्यता महसूस होती है विचार खत्म हो जाते है न मैं का अस्तित्व न ईश्वर का भाव , केवल स्वम्  के उस स्थान पर  होने का भान रहता है। इसके अलावा कुछ नही   बस यह पता होता है कि मैं हु ,केवल स्वयं के होने का भान रहता है, अस्मिता- मैं हूँ, इसके अलावा कुछ और नहीं पता होता

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *