अगर हममे अपने गुरु के प्रति सच्ची श्रद्धा और विस्वास है तो हम गुरु के द्वारा दी गई ऊर्जा की ग्रहण कर उस काबिल बन सकते है जिन्हें हम संत पीर ओलिया महात्मा या अन्य जिन्हें हम हम देव तुल्य इज्जत देते है हमारे दिल में ईश्वर गुरु और पाक व्यक्तियो के ओएअति श्रद्धा आदर मान या उनके प्रति मुहब्बत कम है और हममे दुनियावी दिखावा या मुहब्बत अधिक होगी तो हमारा झुकाव दुनियादारी की तरफ रहेगा ऒर आध्यात्मिकता की ओर या रूहानी ताक़त की तरफ कम हो जायेगा, जब तक हम अपने दिल से नफरत, गन्दगी को बाहर निकाल नही फेंक देते
तब तक न हम खुद को जान सकते है न दुनियादारी न रूहानी आध्यात्मिकता को