गुरु जब शिष्य को गहरा ध्यान करवाते है तो अपनी तववजुह के द्वारा शिष्य के हृदय में उस ऊर्जा को स्थापित कर देते है जो उसे आगे बढ़ने के लिए चाहिए और जिसकी जरूरत शिष्य को आध्यात्मिक जीवन मे होती है जब गुरु सोचते है कि शिष्य में वो काबलियत आ गई है ओर वो आगे बढ़ने के लिए सब गुण रखता है तब वो उसकी काबलियत के अनुसार उसे ऊर्जा देते है