लफ्ज़ आदमी हैवानी वजूद है और इंसान अख़लाकी वजूद है।
और परमात्मा की मंशा ये है कि हम हैवानी वजूद से निकलकर इंसानी वजूद में पहुंच जायें।
और जब तक हमारा क़ल्ब मुर्दा यानि हृदय जाग्रत नहीं है तबतक हम इंसानी वजूद में ही नही है, हम इंसानी वजूद मे तो जब आयेंगे कि जब हमारे क़ल्ब यानि हृदय में ईश्वर का नाम गूंजेगा। हम दुनिया में जबतक हैवानी वजूद मैं हैं कि जबतक हमारे अंदर ईश्वर का नूर यानि प्रकाश न आ जाये।
और जब हमारे अंदर ईश्वरीय ज्योति जल उठे तब हम हैवानी वजूद से निकलकर इंसानी वजूद में पहुंच गये जोकि ईश्वर हमसे चाहता है।