Written by sohamkendra No Comments इंसान की चाहत तो मन को सकून मिलने की होती है ये सकून चाहे गुरु से मिले या मंदिर या गुरुद्वारे में या मस्जिद या मयखाना में मकसद तो एक ही है कहि भी मिले पर सकून तो मिले Leave a Reply Cancel replyYour email address will not be published. Required fields are marked *Comment * Name * Email * Website Save my name, email, and website in this browser for the next time I comment. Previous Story आध्यात्मिकता में जब शिष्य गुरु के अधीन *रह कर विकार मुक्त हो... Next Story हा मैं पिता हु