इस आध्यात्मिक सफर में अगर शिष्य को मौत भी जाये तो ये मिशन जिंदा रहे
क्योकि जो सफर पर निकला है उसे कहि न कही मंजिल पर पहुच कर उसमे लय हो जाना है
पर जो शेष निकल पड़े है सफर पर उनको मंजिल तक हमको पहुचना है
मुझे इश्क़ है उस हर दीवाने से जो अध्यात्म में सफर कर रहा है
ओर मंजिल की तरफ बढ़ रहा है और दूर नही
मंजिल तक जो उस मे पूर्ण रूप में लय हो रहा है
हा उसमे मंजिल पाने की दीवानगी ही कुछ ऐसी होती है
जो निकल पड़ा इस सफर पे उसकी दुनिया ही निराली होती है