मेरी सोच मेरा परिवार

16 मार्च 1949 को मेरा जुड़वा बेटा ओर बेटी के  रूप में पिताजी के घर जन्म हुआ बहन का कुछ समय वाद देहांत हो गया और मैं बड़े लाड़ प्यार से अपने माँ पिता और भाई बहिनो के संरक्षण में पला

सात माह में जुड़वा जन्म होने के कारण बचपन स्वस्थ नहि निकला और बीमार ही रहा युवा हुवा पर पूरी पढ़ाई नही कर आया फिर शादी हुई उसके बाद नॉकरी लगी और बच्चे भी लेट हुवे पर भाई।के वचचो में मन लगा रहा  माता पुट ओर परिवार के सदस्यों ने मुझे कोई कमी नही होने दी बीमारी के कारण सहानभूति मिली और जीवन मे किसी बात की कमी नही रही माता पिता के राज में बचपन निकल युवा हुवा फिर जवान और फिर खुद की गृहस्थी का मालिक  मेरे एक पुत्र और पुत्री हुई जो मेरे जीवन मे वो बहार ले कर आई कि।मुझे दोनो।में भेद ही नजर नही आया दोनो ही।मेरे परिवार पर जान लुटाने वाले मा ओर पिता के भक्त वैसी ही मेरी पत्नी जो।जीवन मे मेरे साथ हमेशा मेरे संग खड़ी रही ओर अब जो  बहुमिली है वह भी 

मेरे लिए एक वरदान मिली अपने व्यवहार और कर्तव्य में पूर्ण सेवा  भावी मेरे दामाद भी सब की तरह  उच्च स्तर केआज्ञाकारी  व्यावहारिक ज्ञानी  इन सब के  प्यार दुलार व पौते दोहते के प्यार दुलार ने मुझे आज  तक।महसूस नही होने दिया कि मैं बुड्ढा होने लगा हु 

मेरी हर मांग और चाहत मेरे परिवार के सदस्य मेरे बिना कहे पूर्ण कर देते है हा चलने  से मजबूर होने पर मेरे बच्चों ने मुझे कार खरीद कर मेरे लिए मेरे दरवाजे पर खड़ी कर दी  ओर कहा ये आपके लिए है  पिछले 

जीवन मे कुछ इतने अच्छे आध्यात्मिक कर्म  मैंने किये है कि मुझे इस जीवन मे जो संसार मिला है उसका मैं बयान नही कर सकता सभी सुख मेरे जीवन में है कोई कमी।नहीसिवाय मेरी बीमारी के मुझे मेरी पत्नी बहु बच्चे पौते दोहतेमेरे लिए घर बाहर हर जगह  एक पाव पर मेरे लिए खड़े रहते है

सोचता हूं पिछले  जन्म में कुछ तो अच्छे कर्म किये थे जिंनके कारन मुझे मेरा सुखी परिवार दोस्त आध्यात्मिक जीवन  मिला और जीवन जी रहा हु  हा  इसके अलावा पिताजी के आध्यात्मिक शिष्य का साथ  ओर मुझे पत्नी  का साथ और पूर्ण सुख व  आध्यात्मिक सुख मिला वरना देखता हूं कि  कई परिवार इस सुख से वंचित है ओर उन्हें स्वर्ग जैसा सुख नही मिलता मेरे परिवार और मेरे मित्रो के साथ से ही मैं  

सोहम ध्यान योग केन्द्र चैनपुरा बस्सी जयपुर के निर्माण करवा पाया जहाँ मुझे स्वर्ग जैसे सुख की अनुभूति होती है और वो सुख मिलता गया जो स्वर्ग में भी नसीब नही हो सकता 

मैं अपने परिवार के सभी सदस्य जिनमे पत्नी पुत्र पुत्री दामाद  पौते दोहते ओर दोस्त व भाइयो व सत्संगी भाई  को।पा कर खुशनसीब हु की मुझे इनके होने से जो  जीवन जीने का जो लुफ्त मिला है जिससे मैं किसी आध्यात्मिक स्तर को।पा सका हु इसके लिए इन सब का इस जीवन मे आभारी हूं और खुश किस्मत जो मुझे इस जीवन मे ऐसा साथ मिलामेरी सोच मेरा परिवार

 

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