सीधे खड़े हो जायें और दोनों हाथो को कोहनी से मोड़कर एक दूसरे के पास लायें।
फिर दोनों हाथो को एक दूसरे में ऐसे स्पर्श कराएं जिससे आपकी हथेली और उंगलियाँ पूरी तरह से एक दुसरे को स्पर्श करें।
फिर धीरे से हाथो को नीचे सीने के पास ले जायें।
सिर को थोड़ा नीचे झुकाएं और नमन करे
मेरी सोच के अनुसार शरीर मे इड़ा नाड़ी शरीर के बायीं तरफ स्थित है तथा पिंगला नाड़ी शरीर के दायीं तरफ स्तिथ होती है जब हम शरीर के किसी भी दाये ओर बाये भाग को जोड़ेगे तो चंद ओर सूर्य नाड़ी एक स्थान पर मिलेगी यानी शीतल ओर गर्म दोनो के मिलान से जों उर्जा उतपन्न होगी वो सुषम्ना से गमन कर आज्ञा चक्र तक पहुचेगी अर्थात इड़ा नाड़ी में चंद्र स्वर और पिंगला नाड़ी में सूर्य स्वर स्थित रहता है। जब सुषुम्ना मध्य में स्थित है, जब दोनों का मिलान होगा यानी दोनों एक जगह पर मिलेगी तो इड़ा ओर पिंघला नाड़ी के मध्य सुषम्ना जाग्रत होगी और हमे सुषम्ना जाग्रत होने का फल मिलेगा क्योकि हम जानते है कि सुषम्ना आज्ञा चक्र तक पहुचती है तो हम मान सकते है कि हमारी सुषम्ना नाड़ी सक्रिय है।