जन्म–मरण के चक्र से परम मुक्ति: आत्मजागृति का रहस्य

-काल रहस्य और उससेसंबंधित चक्र से मुक्ति के विषय में भारत के आध्यात्मिक और योगिक सन्दर्भों में गहरा रहस्य है। काल को जन्म-मरण के चक्र के रूप में देखा जाता है, जिसमें आत्मा बंधी रहती है। इससे मुक्ति के लिए साधना, गुरु की शरण, और आध्यात्मिक अभ्यास महत्वपूर्ण माने जाते हैं।काल रहस्य और जन्म-मृत्यु का चक्रकाल की पकड़ जन्म-मृत्यु के चक्र (संसार चक्र) को दर्शाती है, जहां जीव आत्मा अज्ञान, कर्म, और तृष्णा के कारण फंस जाती है। यह चक्र 84 लाख योनियों या अनेक जन्म-मरणों का प्रतीक भी माना गया है.इस चक्र में से मुक्ति पाने का मार्ग धर्म, तपस्या, सत्संग, और सतगुरु की कृपा से होकर गुजरता है.काल चक्र से मुक्ति के उपायपंच नाम (पंचकाल नाम) का जाप और नामस्मरण (नामसिंचन) मुक्ति के लिए अत्यंत प्रभावी साधन हैं। सतगुरु की शरण लेना, गुरु भक्ति और सत्संग करना भी आवश्यक हैंसतलोक की प्राप्ति और आत्मा की उड़ान के लिए अंशतः ध्यान की गहराई से “अनाहद नाद” (अन्तर्मन की दुर्लभ मधुर ध्वनि) का अनुभव होना आवश्यक है जिससे काल की बंदिशें टूटती हैं.गुणों का शुद्धिकरण (सात्विक भोजन, इंद्रियों का संयम, काम क्रोध लोभ मोह अहंकार से मुक्ति) भी महत्वपूर्ण है जिससे मानव चेतना त्रिगुणों से ऊपर उठती है.सात चक्रों की यात्रा (जैसे ब्रह्मरंद्र या क्राउन चक्र से प्राणों का मुक्त होना) के माध्यम से भी आत्मा को जन्म-मृत्यु के चक्र से मुक्त होने का मार्ग दिखाया गया है.काल चक्र के अंतर्गत आने वाली बाधाओं को दूर करने के लिए भैरव साधना या विशेष मंत्र जाप से भी लाभ मिलता है.चक्र और सत्साधना का संबंधध्यान, योग, और मंत्र साधना के द्वारा चक्रों की शुद्धि और जागरूकता बढ़ाने से जीवात्मा को जन्म-मृत्यु के चक्र से मुक्ति मिलती हैअन्त में, आत्मा की अनुभूति, सतगुरु की कृपा, और ध्यान की स्थिरता से काल चक्र की पकड़ टूटती है और वह स्थायी मुक्तिपथ पर चलने लगती है.संक्षेप में, काल रहस्य से जानना और उस चक्र से मुक्ति पाने के लिए सतगुरु की शरण, नामस्मरण, गुणों का शुद्धिकरण, चक्रों की साधना, और अंतरात्मा की जागृति आवश्यक है। ये सभी साधन मिलकर जन्म-मृत्यु के चक्र (काल चक्र) में फंसी आत्मा को मुक्त करते हैं और उसे वास्तविक मोक्ष की ओर ले जाते हैं

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *