“जब दो आत्माएँ इस जन्म में मिलती हैं, तो वह केवल एक संयोग नहीं होता। यह मिलन तभी संभव होता है जब उनकी रूहों के बीच पूर्व जन्म से कोई गहरा संबंध हो — कोई पहचान, कोई घनिष्ठता, कोई अधूरा अध्याय। आत्माएँ प्रेम से एक-दूसरे की ओर आकर्षित होती हैं, और यह आकर्षण केवल शारीरिक या मानसिक नहीं, बल्कि आध्यात्मिक होता है।

गुरु और शिष्य का संबंध भी ऐसा ही होता है। बिना पूर्व जन्मों के संस्कारों और आध्यात्मिक तैयारी के, किसी को सच्चे गुरु की प्राप्ति नहीं हो सकती। इंसान को अपने जीवन में जो भी सुख या दुख मिलता है, वह सब उसके कर्मों का फल होता है। इसलिए आत्मा का मार्ग, प्रेम और कर्म — तीनों ही एक गहरी यात्रा का हिस्सा हैं, जिसे समझना ही आध्यात्मिक जीवन की ओर पहला कदम है।”

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