देवयान गति” (Devayana gati) भारतीय दर्शन, विशेष रूप से उपनिषदों और वेदांत में एक महत्वपूर्ण अवधारणा है। इसे मृत्यु के बाद आत्मा के यात्रा मार्ग के रूप में वर्णित किया जाता है।
सरल शब्दों में, देवयान गति वह मार्ग है जिससे वे आत्माएँ यात्रा करती हैं जिन्होंने जीवन में पुण्य कर्म किए हैं, ज्ञान प्राप्त किया है, और उपासना (पूजा) की है। इस मार्ग पर चलने वाली आत्माएँ पुनर्जन्म के चक्र से कुछ समय के लिए या हमेशा के लिए मुक्त हो जाती हैं और ब्रह्मलोक (ईश्वर का लोक) या सत्यलोक (परम सत्य का लोक) जैसे उच्च लोकों को प्राप्त करती हैं।
यह “देवों का मार्ग” या “प्रकाश का मार्ग” माना जाता है। इसके विपरीत एक और मार्ग होता है जिसे पितृयान गति (Pitryana gati) कहते हैं, जिससे वे आत्माएँ यात्रा करती हैं जिन्होंने केवल कर्मकांड किए हैं और जिन्हें फिर से पृथ्वी पर पुनर्जन्म लेना पड़ता है।
संक्षेप में, देवयान गति मोक्ष या मुक्ति के मार्ग के रूप में जानी जाती है, जहाँ आत्मा को आध्यात्मिक उन्नति और परम शांति मिलती है।