निवृत्ति और मोक्ष के बीच मुख्य अंतर इस प्रकार है:निवृत्ति: यह संसारिक बंधनों, तसेही इच्छाओं, और कर्मों के प्रवाह से विराम की स्थिति है। निवृत्ति का अर्थ है सांसारिक मोह, इच्छाएं और कर्मों से हट जाना या त्याग करना। यह एक प्रक्रियात्मक अवस्था है जिसमें व्यक्ति बाहरी सांसारिक गतिविधियों से दूर होकर ध्यान, साधना और आत्म-निरीक्षण की ओर बढ़ता है। निवृत्ति क्षणिक या आंशिक मुक्ति के समान होती है, जहां व्यक्ति दुखों और बंधनों से कुछ समय के लिए मुक्त होता है, पर यह स्थायी नहीं होती।मोक्ष: मोक्ष एक अंतिम, पूर्ण और चिरस्थायी स्थिति है जिसमें व्यक्ति सभी सांसारिक दुखों, पुनर्जन्म के चक्र, कर्मबन्धनों तथा माया के प्रभावों से पूर्णतः मुक्त हो जाता है। मोक्ष में आत्मा की नित्य शांति, अनंत आनंद और परम स्थिति की प्राप्ति होती है। इसे अंतिम मुक्ति भी कहा जाता है, जहां जन्म-मृत्यु के चक्र का अंत हो जाता है और जीव सदा के लिए मुक्त हो जाता है।संक्षेप में, निवृत्ति वह मार्ग या प्रक्रिया है जो व्यक्ति को सांसारिक जीवन से मुक्ति की ओर ले जाती है, जबकि मोक्ष वह पूर्ण उत्क्रमण है जो जन्म-मरण और दुखों से निजात दिलाता है। निवृत्ति एक साधना और तैयारी की अवस्था है, मोक्ष उसका अंतिम फल और लक्ष्य है। निवृत्ति में मुक्ति आंशिक और अस्थायी हो सकती है, लेकिन मोक्ष एक शाश्वत, संपूर्ण और परम मुक्ति की अवस्था है