सद्गुरु को आध्यात्म में एक ऐसे गुरु के रूप में देखा जाता है जो शिष्य को सत्य का अनुभव कराते हैं, उन्हें मोक्ष के बंधन से मुक्त करते हैं और दिव्य ज्ञान प्रदान करते हैं। “सद्गुरु” का अर्थ होता है वह गुरु जो सत्य, ब्रह्म, निराकार परमात्मा की अनुभूति कराता है। उनके ज्ञान और मार्गदर्शन से शिष्य में गहरा आंतरिक परिवर्तन आता है।अब अगर “तबीब” या “हाकिम” के संदर्भ में देखें, तो यह शब्द पारंपरिक रूप से आयुर्वेद या यूनानी चिकित्सा प्रणाली में चिकित्सक को कहते हैं। आध्यात्म में भी तबीब या हाकिम का अर्थ एक ऐसे व्यक्ति से हो सकता है जो केवल शारीरिक ही नहीं, बल्कि मानसिक और आध्यात्मिक बीमारी का भी उपचार करता है, यानी वह शरीर, मन और आत्मा का संपूर्ण चिकित्सक होता है।इस दृष्टि से सद्गुरु को तबीब या हाकिम के समान भी माना जा सकता है, क्योंकि सद्गुरु न केवल शिष्यों के मानसिक और आध्यात्मिक रोगों को दूर करते हैं, बल्कि उनके जीवन को भी स्वस्थ, संतुलित और प्रबुद्ध बनाते हैं। वे एक आध्यात्मिक चिकित्सक की तरह शिष्य के भीतर के रोगों—अज्ञानता, भ्रम, मानसिक अशांति—का निवारण करते हैं और उन्हें शांति, ज्ञान तथा मुक्ति की ओर ले जाते हैं।संक्षेप में, आध्यात्म में सद्गुरु तबीब या हाकिम के समान एक संपूर्ण चिकित्सक हैं जो शिष्य के शरीर, मन और आत्मा का उपचार करते हैं और उन्हें परम सत्य की ओर मार्गदर्शन करते हैं। यही कारण है कि कई बार सद्गुरु को आध्यात्म का तबीब कहा जाता है

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