पंचतत्वों में से वायु और आकाश तत्व ध्यान अवस्था में शरीर को भारहीन (हल्का) महसूस करवाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
- वायु तत्व (Air Element) और भारहीनता
वायु तत्व हल्केपन, गति, और प्रसार का प्रतीक है।
जब हम ध्यान करते हैं, विशेषकर जब श्वास नियंत्रण हो जाता है और अनाहद सक्रिय होती है और हम शून्य में अपने को महसूस करते है तो शरीर के दोनतत्व वायु और असकाश अति सक्रिय हो जाते है और इन दोनों तत्वोंके माध्यम से, तो शरीर में वायु तत्व की प्रधानता बढ़ जाती है।
गहरी सांस लेने से शरीर में ऑक्सीजन की मात्रा बढ़ती है, जिससे कोशिकाएँ ऊर्जावान होती हैं और हल्कापन महसूस होता है।
सांस को धीमा करने या रोके रखने से शरीर का स्थूल भारभूत अनुभव कम हो जाता है, जिससे हमें लगता है कि शरीर हल्का हो गया है।
- आकाश तत्व (Ether Element) और भारहीनता
आकाश तत्व शुद्ध चेतना, स्थान, और असीम शांति का प्रतीक है।
ध्यान के गहरे स्तरों पर जब मन शांत हो जाता है, तो आकाश तत्व की प्रधानता बढ़ती है।
आकाश तत्व हमें भौतिक सीमाओं से परे ले जाता है, जिससे शरीर के भार का अहसास कम होने लगता है।
यह तत्व हमें शरीर से परे होने का अनुभव देता है, जिससे ध्यान में उड़ने, तैरने या भारहीन होने का आभास होता है।
ध्यान में हल्कापन महसूस होने का वैज्ञानिक कारण
जब हम ध्यान करते हैं, तो मस्तिष्क में अल्फा और थीटा तरंगें सक्रिय हो जाती हैं, जिससे शरीर गहरे विश्राम में चला जाता है।
तनाव के हार्मोन (कॉर्टिसोल) में कमी आती है, जिससे शरीर हल्का और मुक्त महसूस होने लगता है।
लंबी गहरी सांसें लेने से पैरासिम्पेथेटिक नर्वस सिस्टम सक्रिय हो जाता है, जिससे शरीर का भार महसूस होना कम हो जाता है।
निष्कर्ष
वायु तत्व गति और हल्केपन से जुड़ा है, जबकि आकाश तत्व असीम शांति और शून्यता से। जब ध्यान में ये दोनों तत्व संतुलित होते हैं, तो शरीर का भार महसूस होना कम हो जाता है, और हमें एक अद्भुत हल्केपन का अनुभव होता है। यही कारण है कि गहरे ध्यान में लोग खुद को भारहीन या उड़ते हुए महसूस कर सकते हैं।पंचतत्वों में से वायु और आकाश तत्व ध्यान अवस्था में शरीर को भारहीन (हल्का) महसूस करवाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
1. वायु तत्व (Air Element) और भारहीनता
वायु तत्व हल्केपन, गति, और प्रसार का प्रतीक है।
जब हम ध्यान करते हैं, विशेषकर जब श्वास नियंत्रण हो जाता है और अनाहद सक्रिय होती है और हम शून्य में अपने को महसूस करते है तो शरीर के दोनतत्व वायु और असकाश अति सक्रिय हो जाते है और इन दोनों तत्वोंके माध्यम से, तो शरीर में वायु तत्व की प्रधानता बढ़ जाती है।
गहरी सांस लेने से शरीर में ऑक्सीजन की मात्रा बढ़ती है, जिससे कोशिकाएँ ऊर्जावान होती हैं और हल्कापन महसूस होता है।
सांस को धीमा करने या रोके रखने से शरीर का स्थूल भारभूत अनुभव कम हो जाता है, जिससे हमें लगता है कि शरीर हल्का हो गया है।
2. आकाश तत्व (Ether Element) और भारहीनता
आकाश तत्व शुद्ध चेतना, स्थान, और असीम शांति का प्रतीक है।
ध्यान के गहरे स्तरों पर जब मन शांत हो जाता है, तो आकाश तत्व की प्रधानता बढ़ती है।
आकाश तत्व हमें भौतिक सीमाओं से परे ले जाता है, जिससे शरीर के भार का अहसास कम होने लगता है।
यह तत्व हमें शरीर से परे होने का अनुभव देता है, जिससे ध्यान में उड़ने, तैरने या भारहीन होने का आभास होता है।
ध्यान में हल्कापन महसूस होने का वैज्ञानिक कारण
जब हम ध्यान करते हैं, तो मस्तिष्क में अल्फा और थीटा तरंगें सक्रिय हो जाती हैं, जिससे शरीर गहरे विश्राम में चला जाता है।
तनाव के हार्मोन (कॉर्टिसोल) में कमी आती है, जिससे शरीर हल्का और मुक्त महसूस होने लगता है।
लंबी गहरी सांसें लेने से पैरासिम्पेथेटिक नर्वस सिस्टम सक्रिय हो जाता है, जिससे शरीर का भार महसूस होना कम हो जाता है।
निष्कर्ष
वायु तत्व गति और हल्केपन से जुड़ा है, जबकि आकाश तत्व असीम शांति और शून्यता से। जब ध्यान में ये दोनों तत्व संतुलित होते हैं, तो शरीर का भार महसूस होना कम हो जाता है, और हमें एक अद्भुत हल्केपन का अनुभव होता है। यही कारण है कि गहरे ध्यान में लोग खुद को भारहीन या उड़ते हुए महसूस कर सकते हैं।